समय पर प्रमाणित/ ट्रुथफुल अदरक का बीज न मिल पाने के कारण उत्तराखंड में कृषक अदरक की लाभकारी खेती नहीं कर पा रहे हैं।
योजनाओं में अदरक बीज खरीद हेतु राजकीय पौधालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों / राज्य कृषि / औद्यानिक विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं अदरक बीज उत्पादक सार्वजनिक संस्थाओं से क्रय करने के स्पष्ट निर्देश है।उद्यान विभाग वर्षों से टेंडर द्वारा निजि फर्मों / दलालों के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्योंअसम,मणिपुर, मेघालय व अन्य राज्यों से सामान्य किस्म के अदरक को क्रय कर प्रमाणित / Truthful रियोडी जिनेरियो किस्म बता कर राज्य के कृषकों को योजनाओं में बीज के नाम पर बांटता आ रहा है। हिमाचल प्रदेश की तरह कभी भी राज्य को अदरक बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास नहीं किया गया।
अदरक उत्पादकों का कहना है कि उद्यान विभाग से प्राप्त अदरक बीज समय पर नहीं मिल पाता साथ ही इस बीज से कई तरह की बीमारियों खेतों में आने का डर रहता है।
प्रगतिशील अदरक उत्पादक स्वयमं अपनी अदरक उपज से अदरक को बीज हेतु भंडारित करते हैं। इसलिए आवश्यक है कि अदरक की भरपूर उपज हेतु ,कृषक अपनी स्वस्थ उपज से ही अदरक बीज का भंडारण करें।
*अदरक की भरपूर उपज के लिए,स्वयंम की उत्पादित अदरक का करें बीज हेतु भंडारण*
अदरक बीज का भंडारण –
बीज हेतु अदरक उपज को लम्बे समय याने तीन माह से अधिक समय ( दिसंबर- मार्च ) तक भंडारण करना होता है , इसलिए आवश्यक है भंडारण सही विधि से करें जिससे अदरक सड़े नहीं।
जिस खेत में अदरक की फसल पर बीमारियों लगी हों ,उस खेत के अदरक को बीज के लिए भंडारण न करें।
अच्छे सुडौल, पूर्ण रूप से विकसित प्रकंदों का चयन करके उन्हें अलग से रखें तथा अच्छी तरह से छाया में सुखा लें।
प्रकन्दों का भंडारण ठंडे,सूखे ऊंचे एवं छाया दार स्थान पर एक उचित वायु संचार युक्त गड्ढों में करना चाहिए।
भंडारण करने से पूर्व गड्ढे को एक भाग फौरमिलीन तथा 8 भाग पानी का घोल बनाकर उपचारित कर दें ,गड्ढे के अन्दर घास फूस जलाकर भी गड्ढे को उपचारित किया जा सकता है।
उपचारित गड्ठे को भलीभांति सफाई कर लें तथा उसे अंदर से गाय के गोबर + गोमूत्र से भलीभांति पुताई कर एक सप्ताह तक धूप में खुला छोड़ दें जिससे गड्ढे में नमी न रहे।
भंडारण करने से पूर्व प्रकन्दों को कार्बेन्डाजिम ( 100 ग्राम) + मैन्कोजैव ( 250 ग्राम ) को 100 लीटर पानी में घोल तैयार कर लें इस घोल में 70 – 80 किलोग्राम अदरक को एक घंटे तक उपचारित करें। घोल का प्रयोग दो बार किया जा सकता है।
ट्राइकोडर्मा कल्चर से भी अदरक बीज का उपचार कर सकते हैं उपचार छाया में करें तेज धूप में ट्राइकोडर्मा जीवाणु मर सकते हैं। अदरक पर हल्का सा पानी छिड़क कर, दस ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो अदरक बीज की दर से (याने एक कुन्तल बीज हेतु एक किलोग्राम ट्राइकोडर्मा ) उपचारित करें, जिससे ट्राइकोड्रमा की पर्त अदरक कन्दो पर बन जाय।उपचारित अदरक को छाया में भली भांति सुखायें।
बीज भंडारण से पूर्व गड्ढे में सबसे नीचे एक परत रेत या बुरादा या धान की पुलाव बिछा दें फिर उपचारित बीज को भरें। हवा के संचार के लिये छिद्र युक्त प्लास्टिक के पाईप को गड्ढे के बीच में डालें। गड्ढे में प्रकन्दों को पूरी तरह से न भरें 1/4 भाग खाली रखें। ऊपर के खाली भाग में सूखी घास रखें तथा गड्ढे को ऊपर से लकड़ी के तख्ते से ढक दें। तख्तों किनारों को मिट्टी से पोत दें। हवा के आवा गमन हेतु यदि छिद्र युक्त पौलीथीन पाइप की व्यवस्था नहीं हो पा रही है तो ऊपर से बिछे तखत्तो के बीच में हवा के आव गमन हेतु जगह छोड़ दें।
सही भंडारण के लिए खत्तियों को अच्छी तरह ढकना जरूरी है इसके लिए पत्तियों व घास का रिंगांल / बांस के साथ कच्चा ढांचा बनाया जा सकता है जिससे बर्षा का पानी खत्तियों में जाने से रोका जा सके।
समय समय पर भंडारित अदरक को पलट कर देखते रहें यदि सड़ा अदरक दिखाई दे तो उसे हटा लें।
टेहरी जनपद के आगरा खाल में अदरक उत्पादक खत्तियो में बीज हेतु अदरक भरने के बाद ऊपर से मालू के पत्तों से बने बिशेष आवरण जिसे स्थानीय भाषा में पितलोट कहते हैं , से ढक देते हैं जिससे बर्षा का पानी अन्दर नहीं जा पाता साथ ही हवा का आवा गमन भी बना रहता है जिससे अदरक बीज सुरक्षित रहता है।
डा० राजेंद्र कुकसाल।
मो० 9456590999
फोटोग्राफ श्री सुरेन्द्र सिंह कन्डारी आगराखाल जनपद टेहरी गढ़वाल के सौजन्य से।
— with Surendra Singh Kandari.