उत्तराखंड सरकार की 200 करोड़ की ट्राउट फार्मिंग योजना: विकास या ध्यान भटकाने की कोशिश?
Uttarakhand Government’s ₹200 Crore Trout Farming Scheme: Development or a Distraction?
उत्तराखंड सरकार ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की है, इस बार ट्राउट मत्स्य पालन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। राज्य मंत्रिमंडल ने ट्राउट प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके लिए 200 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इस पहल का उद्देश्य उत्तराखंड से पलायन रोकना और मत्स्य क्षेत्र में सतत आजीविका के अवसर प्रदान करना है।
उत्तराखंड में ट्राउट फार्मिंग: एक परिचय
उत्तराखंड का 88% क्षेत्र पहाड़ी और 12% मैदानी है, जो शीतजल मत्स्य पालन के लिए स्वाभाविक रूप से अनुकूल है। ट्राउट मत्स्य पालन विशेष रूप से 4000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जिससे यह पहाड़ी क्षेत्रों की स्थानीय आबादी के लिए एक आदर्श व्यवसाय बन जाता है। ट्राउट मछली की बढ़ती मांग और उच्च लाभप्रदता को देखते हुए, सरकार ने इस योजना के माध्यम से इसके उत्पादन को बढ़ाने का निर्णय लिया है।
योजना का विवरण और कार्यान्वयन रणनीति
ट्राउट प्रोत्साहन योजना को ट्राउट मत्स्य पालन के सतत विकास के लिए तैयार किया गया है, जिसमें एकीकृत रेसवे इकाइयों का निर्माण और सक्रिय मत्स्य पालकों को पांच वर्ष का इनपुट समर्थन प्रदान किया जाएगा। इस योजना की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
ट्राउट मत्स्य बीज की मांग को पूरा करने के लिए ट्राउट हैचरियों की स्थापना।
मत्स्य पालकों को आवश्यक विपणन उपकरण जैसे डीप फ्रीजर, आइस बॉक्स, और प्लेट आइस मशीन की आपूर्ति।
ट्राउट महासंघ के माध्यम से क्लस्टर आधारित ट्राउट फार्मिंग परियोजनाओं का कार्यान्वयन।
सहकारी क्लस्टर के तहत मछली आहार भंडार, तलछट टैंक और रेसवे का विकास।
सहकारी समितियों को मछली बीज और मछली आहार की आपूर्ति।
मुख्य कार्यान्वयन एजेंसियां और उनकी जिम्मेदारियां
सरकार के बयान में इस योजना के कार्यान्वयन की स्पष्टता की कमी है, जिससे यह स्पष्ट नहीं होता कि यह नई योजना है या पहले से चल रही किसी योजना का विस्तार। निम्नलिखित एजेंसियां इस योजना के कार्यान्वयन में शामिल हो सकती हैं:
राज्य मत्स्य विभाग – यह विभाग योजना की निगरानी और उसके सुचारू कार्यान्वयन की मुख्य जिम्मेदारी निभा सकता है।
राज्य एकीकृत सहकारी विकास परियोजना – यह परियोजना पहले से ही मत्स्य क्षेत्र में व्यक्तियों और सहकारी समितियों को व्यावसायिक मत्स्य पालन से जोड़ने का कार्य कर रही है।
ट्राउट महासंघ – यह सहकारी संघ पहले से ही उत्तराखंड में क्लस्टर आधारित ट्राउट मत्स्य पालन में कार्यरत है।
एफआईडीएफ (मत्स्य और जलकृषि अवसंरचना विकास कोष) – केंद्र सरकार की यह योजना इस परियोजना के वित्त पोषण का प्रमुख स्रोत हो सकती है, जिससे यह केंद्र प्रायोजित योजना बनती है न कि केवल राज्य सरकार द्वारा संचालित योजना।
चुनौतियां और जागरूकता की आवश्यकता
200 करोड़ रुपये के आवंटन के बावजूद, जब तक इस योजना को सही तरीके से प्रचारित नहीं किया जाता और लाभार्थियों को इसकी पूरी जानकारी नहीं दी जाती, तब तक यह योजना प्रभावी नहीं होगी। इस योजना से संबंधित कुछ प्रमुख चिंताएं निम्नलिखित हैं:
जागरूकता की कमी: मत्स्य पालकों और इच्छुक व्यक्तियों को योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
कार्यान्वयन की अस्पष्टता: सरकार ने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि यह योजना राज्य सरकार द्वारा संचालित है या केंद्र द्वारा प्रायोजित।
विभिन्न एजेंसियों की भूमिका: राज्य मत्स्य विभाग, सहकारी विकास परियोजना और ट्राउट महासंघ की जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
बुनियादी ढांचा और वित्त पोषण: एफआईडीएफ निधियों के उपयोग और इस योजना में उनकी भूमिका को सही ढंग से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
जवाबदेही और मूल्यांकन तंत्र की कमी: जब तक इस योजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय नहीं की जाती और इसके लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र नहीं बनाया जाता, तब तक यह योजना निष्फल हो सकती है या एक घोटाले का रूप ले सकती है।
सरकार को चाहिए पारदर्शिता और मूल्यांकन प्रणाली
अगर सरकार वास्तव में ईमानदार और पारदर्शी है, तो उसे इस योजना के बारे में स्पष्ट करना चाहिए कि कौन, कैसे और कब इसे लागू करेगा। साथ ही, इसके लिए एक ठोस मूल्यांकन प्रणाली स्थापित करनी चाहिए, जिससे योजना के प्रगति की निगरानी की जा सके और उसमें समय-समय पर आवश्यक सुधार किए जा सकें।
निष्कर्ष
ट्राउट प्रोत्साहन योजना उत्तराखंड में मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने, रोजगार के अवसर पैदा करने और पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
हालांकि, इसके सफल कार्यान्वयन के लिए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना का सही प्रचार किया जाए, पारदर्शिता बनी रहे और जिम्मेदार एजेंसियों की भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित की जाए
इस योजना की सफलता के लिए वित्त पोषण प्रणाली, जवाबदेही तंत्र और आवेदन प्रक्रिया के बारे में स्पष्ट संचार आवश्यक होगा।
Source- https://fisheries.uk.gov.in/