टीबी मरीजों को गोद लेंगे महाविद्यालयों के शिक्षक: डॉ. धन सिंह रावत की एक अव्यवहारिक योजना

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"College Teachers to Adopt TB Patients: An Impractical Plan by Dr. Dhan Singh Rawat

टीबी मरीजों को गोद लेंगे महाविद्यालयों के शिक्षक: डॉ. धन सिंह रावत की एक अव्यवहारिक योजना

हाल ही में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एक विवादास्पद बयान दिया कि प्रदेशभर में एनीमिया और टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने के लिए महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं निःक्षय मित्र बनकर टीबी मरीजों को गोद लेंगे और उनके उपचार में सहयोग करेंगे। यह योजना न केवल अव्यवहारिक बल्कि गैर-जरूरी भी प्रतीत होती है।

क्या यह योजना तर्कसंगत है?

शिक्षकों और छात्रों का प्राथमिक कार्य शिक्षा प्रदान करना और ज्ञान अर्जित करना होता है, न कि टीबी मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी उठाना। इस कार्य की जिम्मेदारी राज्य के स्वास्थ्य विभाग और जिला अस्पतालों की होनी चाहिए, न कि शिक्षा संस्थानों की। शिक्षा मंत्री द्वारा इस तरह की योजना लागू करना शिक्षा व्यवस्था को मूल उद्देश्य से भटकाने जैसा है।

शिक्षा मंत्री का बयान और वास्तविकता

शिक्षा मंत्री ने अपने बयान में कहा कि 2025 तक प्रदेश को टीबी और एनीमिया मुक्त बनाने के लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा। लेकिन असल सवाल यह उठता है कि यह जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की होनी चाहिए, न कि स्कूल और कॉलेजों के शिक्षकों की।

शिक्षा का असली उद्देश्य क्या होना चाहिए?

  • शिक्षकों और छात्रों को स्वास्थ्य देखभाल में शामिल करने की बजाय, उन्हें कौशल विकास और रोजगारपरक शिक्षा पर केंद्रित करना चाहिए।
  • स्कूलों और कॉलेजों में कौशल विकास (Skill Development) और उद्यमिता (Entrepreneurship Development) को बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि युवा आत्मनिर्भर बन सकें।

नीदरलैंड यात्रा से सीख क्यों नहीं ली गई?

यह विडंबना ही है कि शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत हाल ही में नीदरलैंड के दौरे से लौटे हैं, जहां उन्होंने रबोबैंक मॉडल, डेयरी विकास, ग्रामीण वाणिज्यिक विकास, पुष्पकृषि और आधुनिक कृषि तकनीकों का अध्ययन किया।

लेकिन उत्तराखंड में इन क्षेत्रों में कोई विशेष विकास नहीं हुआ है। यदि मंत्री जी वास्तव में कुछ सार्थक करना चाहते हैं, तो उन्हें सहकारिता विभाग को मजबूत करने, डेयरी विकास और कृषि को आधुनिक बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

सरकार की प्राथमिकताएँ सही होनी चाहिए

सरकार को शिक्षा विभाग का उपयोग स्वास्थ्य देखभाल में नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में करना चाहिए। इसके बजाय:

  • कृषि और डेयरी विकास को बढ़ावा दिया जाए।
  • रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए।
  • राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में छात्रों को जागरूक किया जाए।

निष्कर्ष

टीबी मरीजों की देखभाल एक महत्वपूर्ण विषय है, लेकिन इसके लिए शिक्षा संस्थानों को जिम्मेदार ठहराना गलत है। यह कार्य स्वास्थ्य विभाग और जिला अस्पतालों को दिया जाना चाहिए। मंत्री जी को चाहिए कि नीदरलैंड में सीखी गई अच्छी नीतियों को उत्तराखंड में लागू करें, न कि शिक्षकों पर गैर-जरूरी जिम्मेदारियाँ थोपें।

सरकार को चाहिए कि सहकारिता, डेयरी विकास, कृषि और ग्रामीण व्यापार को प्राथमिकता दें, ताकि उत्तराखंड के युवाओं को सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सके।