धामी सरकार का ‘डबल स्ट्राइक’: उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण पर अब उम्रकैद और 10 लाख जुर्माना।

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देवभूमि में 'धर्म परिवर्तन' का खेल खत्म! धामी कैबिनेट ने देश के सबसे सख्त कानून पर लगाई मुहर।
देवभूमि में 'धर्म परिवर्तन' का खेल खत्म! धामी कैबिनेट ने देश के सबसे सख्त कानून पर लगाई मुहर।

इस ऐतिहासिक कानून में न केवल आजीवन कारावास और 10 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है, बल्कि संपत्ति जब्त करने, विदेशी फंडिंग पर रोक लगाने और पहचान छिपाकर धोखा देने वालों पर भी कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की गई है।

उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने एक ऐतिहासिक और कड़ा कदम उठाया है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में “उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम” में संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी गई, जिससे अब जबरन धर्मांतरण कराने वालों के लिए कठोर सजा और भारी जुर्माने का रास्ता साफ हो गया है। इस नए कानून के तहत दोषियों को आजीवन कारावास की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कुल 26 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिसमें धर्मांतरण कानून को सख्त बनाना सबसे प्रमुख था। इस विधेयक को गैरसैंण में होने वाले आगामी विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा।

नए कानून के मुख्य और कठोर प्रावधान:

  • बढ़ाई गई सजा और जुर्माना: सामान्य मामलों में अब सजा 3 से 10 साल और जुर्माना दोगुना कर दिया गया है। वहीं, अनुसूचित जाति-जनजाति के धर्मांतरण पर 5 से 14 साल की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना होगा।

  • सामूहिक धर्मांतरण पर कड़ा प्रहार: यदि कोई सामूहिक रूप से धर्मांतरण कराता है तो उसे 7 से 14 साल की कठोर सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना देना होगा।

  • आजीवन कारावास का प्रावधान: अगर धर्मांतरण के लिए किसी को डराया-धमकाया जाता है, उस पर हमला किया जाता है, शादी का झांसा दिया जाता है या तस्करी और दुष्कर्म जैसे अपराध किए जाते हैं, तो ऐसे गंभीर मामलों में सजा को 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक किया जा सकेगा।

  • विदेशी फंडिंग पर शिकंजा: पहली बार यह प्रावधान जोड़ा गया है कि यदि जबरन धर्मांतरण के लिए किसी विदेशी या गैर-कानूनी संस्था से पैसा लिया जाता है, तो दोषी को 7 से 14 साल की सजा और 10 लाख रुपये का भारी जुर्माना लगाया जाएगा।

  • आरोपी की संपत्ति होगी कुर्क: नए कानून में गैंगस्टर एक्ट की तरह ही धर्मांतरण के आरोपियों की संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार जिलाधिकारी (DM) को दिया गया है।

  • ऑनलाइन गतिविधियों पर भी नजर: यदि धर्मांतरण के लिए इंटरनेट या सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल किया जाता है तो आरोपी पर आईटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।

  • कोई भी दर्ज करा सकेगा शिकायत: पहले सिर्फ पीड़ित या उसके खून के रिश्तेदार ही शिकायत दर्ज करा सकते थे, लेकिन अब कोई भी नागरिक ऐसे मामलों में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करा सकेगा।

  • धोखे और छद्म वेश पर कार्रवाई: “ऑपरेशन कालनेमि” से प्रेरित होकर कानून में यह भी जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति धार्मिक वेशभूषा, पद या जाति का छद्म रूप धारण कर जनता को गुमराह करता है तो उस पर भी इस अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई होगी।