हर्बल मिशन और वन मंत्री सुबोध उनियाल का बयान – वास्तविकता और सवाल

0
59
Uttarakhand-news-Business-news-uttarakhand-subodh-uniyal-uttarakhand-minister-mal-narender-nager
हर्बल मिशन और वन मंत्री सुबोध उनियाल का बयान – वास्तविकता और सवाल

हर्बल मिशन और वन मंत्री का बयान – वास्तविकता और सवाल
भूमिका
उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने हाल ही में घोषणा की कि वन पंचायत अधिनियम और नियमावली में संशोधन की प्रक्रिया जारी है, जिससे वन पंचायतों में हर्बल मिशन के तहत औषधीय पौधों की खेती की अनुमति दी जाएगी।
यह मिशन नए वित्तीय वर्ष में शुरू किया जाएगा और इसका उद्देश्य आमजन को वनों से आजीविका के अवसरों से जोड़ना और वनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हालांकि, इस घोषणा के पीछे कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका उत्तर दिए बिना इस योजना की वास्तविकता को समझना मुश्किल होगा।

हर्बल मिशन: एक परिचय

वन एवं पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों को आजीविका प्रदान करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने 628 करोड़ रुपये की लागत से हर्बल मिशन शुरू करने की योजना बनाई है।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य वन पंचायतों की भूमि पर औषधीय पौधों और सुगंधित पादपों की खेती को बढ़ावा देना है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

यह मिशन 500 वन पंचायतों में लागू किया जाएगा।
वन पंचायत अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा।
स्थानीय लोगों को वनों की सुरक्षा और संरक्षण से जोड़ने के लिए यह योजना बनाई जा रही है।
महत्वपूर्ण सवाल और चिंताएं
सरकार की इस घोषणा से कई सवाल उठते हैं, जिनके उत्तर दिए बिना यह योजना सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाजी लगती है।

1. हर्बल मिशन की फंडिंग कहां से आ रही है?

क्या 628 करोड़ रुपये की धनराशि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई है, या यह विदेशी बैंकों से लिया गया ऋण है?
यदि यह राज्य सरकार की अपनी योजना है, तो बजट में इसका प्रावधान कहां किया गया है?
2. वन पंचायतों में औषधीय पौधों की खेती के लिए कौन से नियम बनाए गए हैं?
हर्बल मिशन की शुरुआत कब हुई और इसके नियम और दिशानिर्देश क्या हैं?
यह योजना किस विभाग के अधीन होगी, और इसकी निगरानी किस स्तर पर की जाएगी?
क्या इसमें स्थानीय वन पंचायतों और ग्रामीणों की सहमति ली गई है?
3. वन पंचायत अधिनियम में संशोधन का आधार क्या है?
उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम में क्या संशोधन किए जाएंगे?
इन सुधारों से यह योजना कितनी प्रभावी होगी?
क्या इससे वन पंचायतों की स्वायत्तता प्रभावित होगी?
4. हर्बल मिशन से स्थानीय ग्रामीणों को क्या लाभ मिलेगा?
स्थानीय लोगों की भूमिका और अधिकार क्या होंगे?
औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसानों को बाजार उपलब्ध कराया जाएगा या नहीं?
वन संरक्षण के साथ-साथ आजीविका को जोड़ने के लिए सरकार की रणनीति क्या है?

निष्कर्ष
वन मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा दिया गया यह बयान वर्तमान मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश भी हो सकता है। जब तक सरकार स्पष्ट दिशानिर्देश, कानूनी संशोधन, वित्त पोषण स्रोत और ग्रामीणों की भागीदारी पर ठोस जानकारी नहीं देती, तब तक यह योजना सिर्फ एक राजनीतिक घोषणा ही मानी जाएगी।

सरकार को चाहिए कि वह:
हर्बल मिशन के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करे।
वन पंचायतों और स्थानीय लोगों को जागरूक करे और उनकी राय ले।
फंडिंग के स्रोत और उपयोग की पूरी पारदर्शिता बनाए।
वन संरक्षण और आजीविका के बीच संतुलन स्थापित करने की रणनीति प्रस्तुत करे।

जब तक इन सवालों के उत्तर नहीं मिलते, तब तक यह योजना सिर्फ एक वादा बनकर रह जाएगी।