स्वरोजगार योजनाएं बनीं, पारदर्शिता नहीं — जवाब दें सचिव विनय शंकर पांडेय जी

0
121
vinay-shankar-pandey-Secretary -uttarakhand-industry
विनय शंकर पांडेय, सचिव उद्योग,उत्तराखंड

 

उत्तराखंड में बेरोजगारी और पलायन वर्षों से एक गंभीर समस्या रही है। पहाड़ों से मैदानों की ओर हो रहा पलायन सिर्फ रोज़गार की कमी नहीं, बल्कि योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ियों और सरकारी तंत्र में पारदर्शिता की भारी कमी को भी उजागर करता है।

हाल ही में उद्योग विभाग के सचिव विनय शंकर पांडेय द्वारा मीडिया में दावे किए गए कि:

 

uttarakhand-msme-msy
“मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और नैनो योजना को मिलाकर एक नई नीति लाई जा रही है, जिससे अगले 5 वर्षों में 50,000 लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा।

“मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और नैनो योजना को मिलाकर एक नई नीति लाई जा रही है, जिससे अगले 5 वर्षों में 50,000 लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा।”

लेकिन सवाल यह उठता है: क्या अब तक की योजनाएं वाकई कामयाब रहीं?

क्या है मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना (MSY)?
शुरुआत: कोविड-19 महामारी के दौरान
लक्ष्य: युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ना

इस योजना के तहत विनिर्माण, सेवा और व्यापार क्षेत्र में 10 से 25 लाख रुपये तक ऋण दिया जाता है। इस ऋण पर सरकार द्वारा 15% से 25% तक सब्सिडी भी दी जाती है।

दावा: जनवरी 2025 तक, 31,715 लोगों को लाभ मिला और 95,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला।

क्या है मुख्यमंत्री स्वरोजगार अति सूक्ष्म योजना (नैनो योजना)?

लक्ष्य: छोटे व्यवसाय जैसे किराना, सिलाई, ब्यूटी पार्लर, चाय की दुकान आदि

योजना के तहत ₹50,000 तक का ऋण और 25% से 35% तक सब्सिडी का प्रावधान था।

अब इस ऋण सीमा को ₹2 लाख तक बढ़ाया जा रहा है।

दावा: 4,658 लाभार्थियों को रोजगार मिला।

महत्वपूर्ण सवाल जिनका जवाब मिलना ज़रूरी है

जनसांख्यिक और भौगोलिक विवरण कहां है?

किस जिले के कितने लोग लाभार्थी बने? कौन-कौन से उद्योग स्थापित हुए? इस संबंध में कोई विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में क्यों नहीं है?

योजनाओं का प्रचार-प्रसार कैसे हुआ?अधिकांश युवाओं को इन योजनाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं। क्या ये योजनाएं केवल कागजों पर रह गईं?

योजनाएं अलग-अलग सफल थीं तो फिर इन्हें मिलाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
यदि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और नैनो योजना सफल रहीं, तो फिर इन्हें समायोजित कर एक नई नीति लाने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई?

नई स्वरोजगार नीति की विस्तृत जानकारी कब उपलब्ध होगी?
सिर्फ यह कहना कि “कैबिनेट में प्रस्ताव जाएगा” पर्याप्त नहीं है। प्रस्ताव की प्रतिलिपि, बजट, लक्षित सेक्टर, आवेदन की प्रक्रिया, निगरानी प्रणाली—इन सबकी जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए।

जनता की अपेक्षाएं – पारदर्शिता और जवाबदेही

उत्तराखंड सरकार और उद्योग विभाग से निम्नलिखित की मांग की जानी चाहिए:

नैनो योजना और MSY की वर्षवार, जिला-वार रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।

लाभार्थियों की सूचियां (बिना निजी जानकारी के) जारी हों।

नई प्रस्तावित योजना का ड्राफ्ट दस्तावेज़ वेबसाइट पर साझा किया जाए।

योजना का ऑनलाइन आवेदन पोर्टल, निगरानी तंत्र और समय-सीमा स्पष्ट की जाए।

पलायन रोकना है, तो योजनाएं नहीं, क्रियान्वयन चाहिए

उत्तराखंड में रोज़गार के नाम पर योजनाएं बनती रही हैं, लेकिन ज़मीन पर हालात नहीं बदले। नैनो योजना और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के आंकड़ों पर जनता को भरोसा तभी होगा जब:

डेटा स्वतंत्र ऑडिट से गुजरे,

लाभार्थी स्वतंत्र प्लेटफॉर्म पर अपने अनुभव साझा कर सकें,

और योजनाओं की लोक-निगरानी (public monitoring) की व्यवस्था हो।

निष्कर्ष
योजनाओं की घोषणा करना एक बात है, उन्हें ईमानदारी और पारदर्शिता से लागू करना दूसरी। जब तक सरकार जनता को जानकारी देने से बचेगी, तब तक अविश्वास बना रहेगा।
शब्द नहीं, परिणाम चाहिए।