उत्तराखण्ड स्टार्टअप नीति, 2023: मुख्य बिन्दु
यह नीति 17 मार्च, 2023 को अधिसूचित की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य उद्यमियों और नवाचारों को वित्तीय और परिचालन सहायता प्रदान करके उत्तराखण्ड को एक अग्रणी स्टार्टअप गंतव्य बनाना है।
मुख्य उद्देश्य और दृष्टिकोण
प्राथमिक लक्ष्य: अगले 5 वर्षों में उत्तराखण्ड में 1000 स्टार्टअप के विकास को प्रोत्साहित करना।
दृष्टिकोण: उत्तराखण्ड को इनोवेटर्स और उद्यमियों के लिए एक रणनीतिक केंद्र के रूप में स्थापित करना, विशेष रूप से आईटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, पर्यटन, कृषि, वेलनेस और फार्मा जैसे क्षेत्रों में।
नीति की वैधता: यह नीति अपनी अधिसूचना की तारीख (17 मार्च, 2023) से 5 वर्षों के लिए वैध है।
पात्रता: कौन लाभ उठा सकता है?
इस नीति के तहत “स्टार्टअप” के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए, एक इकाई को निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना होगा:
उसका पंजीकृत कार्यालय (Registered Office) उत्तराखण्ड में हो।
वह 10 वर्ष से अधिक पुरानी न हो।
किसी भी वित्तीय वर्ष में उसका टर्नओवर ₹100 करोड़ से अधिक न हुआ हो।
उत्तराखण्ड के बाहर पंजीकृत संस्थाओं के लिए: वे भी पात्र हो सकती हैं यदि उनका राज्य में एक महत्वपूर्ण परिचालन कार्यालय हो और, सबसे महत्वपूर्ण बात, वे अपने कुल कार्यबल (workforce) का कम से कम 70% उत्तराखण्ड के अधिवास (domicile) वाले लोगों को रोजगार दें।
स्टार्टअप के लिए प्रमुख वित्तीय प्रोत्साहन
यह नीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सीधी वित्तीय सहायता प्रदान करता है:
1. मासिक भत्ता (Sustenance Allowance):
एक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के लिए ₹15,000 प्रति माह तक।
महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति, दिव्यांगों के नेतृत्व वाले स्टार्टअप या ग्रामीण प्रभाव/विघटनकारी प्रौद्योगिकियों (disruptive technologies) पर काम कर रहे स्टार्टअप के लिए ₹20,000 प्रति माह तक।
यह एकमुश्त सहायता है जो आइडिया स्टेज पर अधिकतम 12 महीनों के लिए प्रदान की जाती है।
2. सीड फंड (Seed Fund – एकमुश्त अनुदान):
एक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को आइडिया, प्रोटोटाइप या MVP (न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद) चरण में ₹10 लाख तक की सहायता।
महिलाओं, SC/ST, दिव्यांगों के नेतृत्व वाले या ग्रामीण प्रभाव वाले स्टार्टअप के मामले में ₹12.5 लाख तक की सीड फंडिंग।
विघटनकारी प्रौद्योगिकियों पर काम करने वाले स्टार्टअप को ₹2.5 लाख की अतिरिक्त सीड फंडिंग प्रदान की जाएगी।
3. बौद्धिक संपदा (IPR) अधिकार सहायता:
पेटेंट फाइलिंग: भारतीय पेटेंट के लिए ₹1 लाख तक और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए ₹5 लाख तक की प्रतिपूर्ति (reimbursement)।
ट्रेडमार्क और डिजाइन फाइलिंग: प्रत्येक के लिए ₹10,000 तक की प्रतिपूर्ति।
4. इन्क्यूबेशन सहायता:
मान्यता प्राप्त स्टार्टअप किसी भी मान्यता प्राप्त इन्क्यूबेटर में 12 महीने के लिए मुफ्त इन्क्यूबेशन सहायता के पात्र होंगे, जिसकी लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
प्रमुख परिचालन और गैर-वित्तीय लाभ
ये लाभ परिचालन बाधाओं को कम करते हैं और बाजार के अवसर खोलते हैं:
सरकारी खरीद: सरकारी विभागों को मान्यता प्राप्त स्टार्टअप से ₹10 लाख तक (जीएसटी को छोड़कर) की सीधी खरीद करने की अनुमति है।
व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business): स्टार्टअप को 5 वर्षों के लिए स्व-प्रमाणन (self-certification) के आधार पर विभिन्न श्रम और अन्य अधिनियमों के तहत निरीक्षण से छूट दी जाएगी।
भूमि का प्रावधान: औद्योगिक क्षेत्रों, आईटी पार्कों और SEZ में बेस प्राइस पर भूमि/स्थान के आवंटन का प्रावधान।
इकोसिस्टम के लिए सहायता (इन्क्यूबेटर और कॉलेज)
नीति एक मजबूत समर्थन संरचना बनाने पर केंद्रित है:
इन्क्यूबेटर के लिए पूंजीगत अनुदान (Capital Grant): एक नया इन्क्यूबेटर स्थापित करने के लिए लागत का 50% (₹1 करोड़ तक) और मौजूदा का विस्तार करने के लिए ₹50 लाख तक।
इन्क्यूबेटर के लिए परिचालन अनुदान (Operational Grant): इन्क्यूबेशन सहायता प्रदान करने की लागत को कवर करने के लिए प्रति स्टार्टअप ₹1 लाख तक की प्रतिपूर्ति।
कॉलेजों में उद्यमिता प्रकोष्ठ (E-Cells): छात्रों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ई-सेल द्वारा आयोजित कार्यक्रमों (जैसे बूट कैंप, बिजनेस प्लान प्रतियोगिता) के लिए प्रति कार्यक्रम ₹1 लाख तक की वित्तीय सहायता।
नीति के प्रमुख तंत्र और प्रतिबद्धताएँ
फंड ऑफ फंड्स (Fund of Funds): ₹200 करोड़ का एक विशाल कोष आवंटित किया जाएगा, जो वेंचर फंड में निवेश करेगा, और वे वेंचर फंड उत्तराखण्ड स्थित स्टार्टअप में निवेश करेंगे।
महिला उद्यमियों पर विशेष ध्यान: सरकार समर्थित इन्क्यूबेटरों में कम से कम 15% सीटें महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप के लिए आवंटित की जाएंगी।
जिला नवाचार समिति: प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्थापित की जाएगी ताकि जमीनी स्तर पर नीति को लागू किया जा सके और स्थानीय नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।
Team uttaranchaltimes.com