उत्तराखंड की राजनीति में नई उम्मीद: बॉबी पंवार

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A New Hope in Uttarakhand Politics: Bobby Panwar
A New Hope in Uttarakhand Politics: Bobby Panwar

उत्तराखंड की राजनीति में नई उम्मीद: बॉबी पंवार

बॉबी पंवार उत्तराखंड की राजनीति में एक उभरते हुए युवा नेता के रूप में तेजी से अपनी पहचान बना रहे हैं। अपनी दमदार सक्रियता और युवाओं की बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर आवाज उठाने के कारण वे सुर्खियों में आए हैं।

शुरुआती जीवन और शिक्षा
बॉबी पंवार का जन्म देहरादून के चकराता तहसील स्थित लखमंडल गांव में हुआ था। वे एक किसान परिवार से आते हैं और उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स (B.A.) और बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed.) की पढ़ाई की है। शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने उत्तराखंड के युवाओं के लिए रोजगार और पारदर्शिता की मांग को लेकर संघर्ष करना शुरू किया।

बेरोजगारी आंदोलन से राजनीति तक का सफर
2018 में, बॉबी पंवार उत्तराखंड बेरोजगार संघ से जुड़े और अपनी नेतृत्व क्षमता के कारण जल्दी ही इसके अध्यक्ष बने। उनका सबसे बड़ा आंदोलन फरवरी 2023 में देखने को मिला, जब उन्होंने हजारों युवाओं को भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता और पेपर लीक मामलों पर कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर देहरादून में बड़ा प्रदर्शन किया।

यह आंदोलन हिंसक हो गया और पुलिस ने बॉबी पंवार समेत कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, इस घटना ने उन्हें एक युवा नेता के रूप में पहचान दिलाई और बेरोजगार युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी।

लोकसभा चुनाव 2024: राजनीति में नई शुरुआत
बॉबी पंवार ने 2024 लोकसभा चुनाव में टिहरी गढ़वाल सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। संसाधनों की कमी और किसी बड़े राजनीतिक दल का समर्थन न होने के बावजूद उन्होंने 1.68 लाख (लगभग 19.5%) वोट प्राप्त किए।

हालांकि, वे चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मतों का मिलना यह दर्शाता है कि वे जनता के बीच एक मजबूत विकल्प बनकर उभर रहे हैं।

विवादों से भी रहा नाता
बॉबी पंवार का राजनीतिक सफर विवादों से भी जुड़ा रहा है। नवंबर 2024 में, वे एक विवाद में फंस गए, जब उन पर उत्तराखंड सचिवालय में एक वरिष्ठ IAS अधिकारी से मारपीट करने का आरोप लगा।
इस घटना के बाद, प्रशासनिक अधिकारियों ने सचिवालय के कामकाज का बहिष्कार किया और इसका पूरे प्रदेश में व्यापक असर देखने को मिला।

भविष्य की राजनीति और योजनाएँ
बॉबी पंवार ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने राजनीतिक संघर्ष को आगे भी जारी रखेंगे। उन्होंने आगामी विधानसभा उपचुनाव और नगर निकाय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वे युवाओं के रोजगार, पारदर्शी भर्ती प्रणाली और भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों को लेकर अपनी लड़ाई जारी रखना चाहते हैं।

निष्कर्ष
बॉबी पंवार का राजनीतिक सफर दिखाता है कि अगर कोई व्यक्ति जनता से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाए, तो वह बिना किसी बड़े राजनीतिक समर्थन के भी मजबूत पहचान बना सकता है। उत्तराखंड में युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है और आने वाले वर्षों में वे राज्य की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।